Simran Ansari

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Exposed part : 5




विशाल पूरे कमरे में उस मेज को ढूंढने लगता है, रागिनी भी उसकी मेज को ढूंढने में मदद करती है। 

उधर दूसरी तरफ से कबीर का पैर किसी लोहे की रॉड जैसी चीज से टकराता है तो वह झुक कर उसे उठा लेता है, और उठाकर देखता है, तो वह एक लोहे की मजबूत राॅड ही रहती है। वह जल्दी से उस राॅड को उठा कर रोहित को दे देता है और रोहित उस राॅड की मदद से वह खिड़की खोलने की कोशिश करता है....।

तभी अचानक दूसरी तरफ रागिनी के पैर में वहीं मेज जैसी चीज टकरा जाती है और रागिनी विशाल को आवाज देती है, विशाल जल्दी से दौड़कर रागिनी के पास आता है और पूछता है - "क्या हुआ रागिनी भाभी?"

"मेरे पैर से अभी-अभी कुछ टकराया" - रागिनी ने कहा

"अच्छा, आप रुकिए; मैं देखता हूं कि क्या है?" - इतना कहकर विशाल अपने हाथों से छूकर देखता है तो वहां पर उसे वह मेज मिल जाती है, वह उसे उठाकर रोहित के पास ले आता है। रागिनी भी विशाल के साथ वहां पर आ जाती हैं, जहां रोहित कुर्सी पर खड़ा होकर दरवाजा खोलने की कोशिश में लगा है।

विशाल वहां पर मेज रखते हुए कहता है "अब इस पर कुर्सी रखिए, तो हम सब आसानी से ऊपर तक पहुंच जाएंगे।"

"हां, लेकिन पहले यह दरवाजा अंदर से खुल तो जाए।" - रोहित दरवाजा खोलने की कोशिश करते हुए कहता है

इस पर कबीर कहता है - "रोहित! तू नीचे आ जा एक बार मैं कोशिश करता हूं , शायद मुझसे खुल जाए।"

"हां, ठीक है; तू कोशिश कर ले"- इतना कह कर रोहित कुर्सी से नीचे उतरा विशाल मेज के ऊपर कुर्सी रख देता है और इस बार कबीर कुर्सी के ऊपर ‌चढ़ जाता है तो मेज के ऊपर रखी कुर्सी की ऊंचाई ज्यादा होने आसानी से ऊपर बनी खिड़की तक पहुंच जाता है और फिर ज़ोर लगा कर वह दरवाजा खोलने की कोशिश करता है; काफी देर की मेहनत के बाद वह दरवाजा खुल जाता है: यह देख कर सबकी आंखों में चमक आ जाती है, उस दरवाजे से थोड़ी रोशनी भी तहखाने के अंदर आती है!

दरवाजा खोलने के बाद कबीर वहां से जाकर बाहर देखता है, तो थोड़ी दूर तक उसे कोई भी गुंडे बैठे दिखाई नहीं देते हैं; यह देखकर वह नीचे खड़े सबसे बताता है कि "रास्ता साफ है जल्दी करो हम सब को जल्दी यहां से निकलना होगा" और इतना कहकर वह नीचे उतर आता है।

उसे नीचे उतरता देख रागिनी कहती है - "तुम वापस क्यों आ रहे हो? वहीं से बाहर निकल जाओ।"

इस पर कबीर कहता है - "नहीं, पहले तुम सब निकल जाओ!"

इन दोनों की आपस की बात सुनकर रोहित बीच में बोल पड़ता है - "पहले हम विशाल को बाहर निकलते हैं, तो वह बाहर से अवनी और रागिनी तो हाथ पकड़ लेगा और उस के बाद मैं और तू भी बाहर निकल जाएंगे।"

रोहित का यह सुझाव सब को पसंद आता है और सबसे पहले वह दोनों विशाल को वहां से बाहर निकालते हैं। उसके बाद एक-एक करके दोनों लड़कियों को भी बाहर निकाल देते हैं; उसके बाद लास्ट में कबीर और रोहित भी वहां से बाहर निकल आते हैं।


बाहर निकल कर वह लोग देखते हैं, तो उन्हें वह जगह जानी पहचानी सी लगती है; कुछ देर बाद उन्हें समझ में आता है कि यह तो वही होटल है जहां सबसे पहले वह लोग बेहोश हुए थे।

तभी एक तरफ से कुछ लोग उन्हें आते हुए दिखाई देते हैं वह लोग उसी तरफ जा रहे होते हैं , जहां से वह पांचों अभी अभी निकल कर आए थे।

यह सब देखकर वो लोग पूरी तेजी से वहां से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने लगते हैं; तभी एक तरफ कबीर को एक दरवाजा दिखता है और वह चिल्ला कर सभी से कहता है "इस तरफ गाइज़, इधर एक डोर है!"

कबीर की आवाज सुनकर वह चारों भी तेजी से उसी तरफ भागते हैं; और जल्दी से दरवाजे के पास पहुंच जाते हैं। तो देखते हैं कि दरवाजा खुला हुआ है ..... यह देखकर वह सभी खुश हो जाते हैं और जल्दी से दरवाजा खोल कर उससे बाहर निकल जाते हैं लेकिन वह दरवाजा उन्हें एक हॉल में ले आता है शायद यह वही पार्टी हॉल था लेकिन अभी इस वक्त वहां पर कोई भी नहीं था।

अभी उधर से दो आदमियों के चिल्लाने की आवाज आती है , "तहखाने का दरवाजा खुला हुआ है; वह लोग भाग गए: जल्दी से उन्हें ढूंढो और वापस पकड़ो।"

यह सुनकर विशाल कहता है - "ओह शिट ! उन लोगों को पता चल गया, हमें जल्दी यहां से निकलने का रास्ता ढूंढना होगा।"

अवनी चिल्लाकर कहती है - "इस तरफ एक दरवाजा है, जहां से हम लोग पार्टी वाली रात अंदर आए थे; लेकिन यह दरवाजा बाहर से लाॅक है शायद?"

अवनी की बात सुनकर तीनों आदमी भी उसी तरफ आ जाते हैं और दरवाजा खोलने की कोशिश करते हैं, लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी जब वह दरवाजा नहीं खुला तो कबीर‌ कहता है - "कम ऑन गाइस! जल्दी करो, यह दरवाजा ऐसे नहीं खुलेगा, हमें इसे तोड़ना ही पड़ेगा।"

इस पर रोहित तर्क देता है - "दरवाजा तोड़ने से आवाज होगी, जिस से कि उन गुंडों को पता चल जाएगा कि हम लोग यहां पर हैं और वह लोग इस तरफ आ जाएंगे।"

विशाल भी कबीर की बात में हां में हां मिलाते हुए कहता है - "लेकिन रोहित भैया! हमारे पास इसके अलावा कोई और रास्ता भी नहीं है हमें इसे तोड़ना ही पड़ेगा ; लेट्स डू इट।"

कबीर और विशाल दरवाजे को तोड़ने में लग जाते हैं; यह देखकर रोहित भी उन लोगों की मदद करता है: तभी दरवाजा तोड़ने से हुई आवाज सुनकर गुंडे भी उन लोगों की तरफ दौड़ कर आने लगते हैं!

उन गुंडों में से एक आदमी कहता है - "उधर से आवाज आ रही है, पक्का वह लोग वहां से भागने की कोशिश कर रहे हैं; जल्दी सब लोग उधर चलो......"

जैसे ही सारे गुंडे हॉल में आते हैं, वैसे ही हाॅल का बाहर जाने वाला दरवाजा टूट जाता है और रोहित, कबीर, विशाल , रागिनी व अवनी अपना पूरा जोर लगा कर दरवाजे से बाहर की तरफ भागते हैं। वहां से भागते भागते वह सभी सड़क पर आ जाते हैं और सड़क पार करके दूसरी तरफ चले जाते हैं; वहां पर थोड़ी झाड़ियां और जंगल जैसा सुनसान रास्ता रहता है; गुंडों से बचकर छिपने के लिए उन लोगों को वह जगह ही सही लगती है, गुंडे भी उन सब का पीछा करते हैं लेकिन वह लोग बच कर निकल जाते हैं।

उस क्लब की हॉल से बाहर बचकर भाग आने की बाद जब उन लोगों को लगता है कि वह लोग काफी दूर आ गए हैं ; तो वह सब चैन की सांस लेते हैं तभी अचानक रोहित देखता है कि अवनी तो वहां नहीं है; वह चिल्ला कर सब से पूछता है - "अवनी कहां है?"

उसकी यह बात सुनकर सभी लोग नोटिस करते हैं कि अवनी तो उनके साथ है नहीं; सभी लोग इधर-उधर अवनी को आवाज लगाते हुए अवनी को ढूंढने लगते हैं, तभी रागिनी कहती है - "कहीं अवनी को उन गुंडों ने फिर से तो नहीं पकड़ लिया?"

इस पर रोहित पागल सा अवनी अवनी चिल्लाते हुए वापस उसी तरफ भागता है; जिधर से बचकर वह लोग आए थे, उसे ऐसा करते देख कबीर व विशाल उसे पकड़ते हैं और उसे उधर जाने से रोकते हैं!

"मुझे.... मुझे.... अपनी अवनी को बचा कर लाना है" - रोहित बार-बार यही कहकर चिल्लाता है

इस पर कबीर और विशाल रोहित को समझाते हैं कि "अगर वह यहां बाहर रहेगा तो ज्यादा आसानी से अवनी को बचा पाएगा और अगर वापस जाएगा तो वह लोग उसे भी पकड़ लेंगे।"

"लेकिन हम लोग करेंगे क्या?" - विशाल कबीर की तरफ देख कर पूछता है 

रागिनी कहती है - "हमें पुलिस के पास जाना चाहिए और सारा मामला पुलिस को बता देना चाहिए।"

रोहित कहता है - "नहीं ऐसा करने से अवनी की जान को खतरा भी हो सकता है, मैं यह रिस्क नहीं ले सकता।"

कबीर भी रोहित की बात में हां में हां मिलाता हुआ कहता है - "रोहित सही कह रहा है; रागिनी! हम ऐसे बिना किसी सबूत के पुलिस के पास नहीं जा सकते, इसमें हमारा ही नुकसान है!"

इस पर विशाल थोड़ा सवालिया अंदाज में पूछता है - "हमारा नुकसान कैसे हैं इसमें कबीर?"

इस पर कबीर उन तीनों को समझाता हुआ कहता है- "पहली बात तो यह कि बिना किसी ठोस सबूत के पुलिस हमारी बात का विश्वास ही नहीं करेगी और पुलिस स्टेशन जाने अगर उन गुंडों को लग गई, तो वह अवनी भाभी के साथ कुछ भी कर सकते हैं।"

      "इसलिए हमें जो भी करना है, बहुत ही सोच समझ कर करना होगा, मैं अवनी की जान खतरे में नहीं डाल सकता" - रोहित उन सब से कहता है।

"सबसे पहले तो हम लोगों को घर जाना होगा और किसी ऐसे को ढूंढना होगा जो इन सब में हमारी मदद कर सके:" - कबीर कहता है

विशाल कहता है - "लेकिन हम सब जाएंगे कहां? हो सकता है वह लोग हमारे घरों पर नजर रखे हुए हो और जैसे ही हम लोग अपने अपने घर जाएं ,वह लोग हमें फिर से पकड़ ले।"

"हां.... तो अगर हम लोग अपने घर नहीं जा सकते तो फिर जाएंगे कहां?" रागिनी चिंता जताते हुए कहती है.....

उधर दूसरी तरफ से उन गुंडों ने पीछे रह गई, अवनी को पकड़ लिया और फिर से बेहोश करके कुर्सी से बांधकर एक कमरे में बंद कर दिया है; लेकिन इस कमरे में उजाला है; यह वह तहखाना नहीं है जहां पांचों लोग पहले बंद थे।

अब रोहित कहता है-"हम लोग अवनी की छोटी बहन मीरा के घर जा सकते हैं; हमारे वहां जाने का किसी को शक नहीं होगा और हम मीरा को सब बता देंगे तो वह हमारी मदद भी जरूर करेगी।"

रोहित का यह सुझाव सभी को पसंद आता है और अंधेरा होने ‌के‌बाद वह चारों मीरा के घर की तरफ चल देते हैं।



क्रमशः

Simrana


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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 08:57 PM

बहुत सुंदर भाग👌👌👌

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Hayati ansari

29-Nov-2021 08:50 AM

Good

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